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कुछ समय पहले जब नमो ने अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की थी तभी ये रचना दिमाग में आई थी, चारों तरफ (ब्लॉग्स पे ) बड़ा गंभीर चिंतन का माहौल है तो मैंने सोचा इस माहौल को थोड़ा नरम किया जाए और फिर थोड़ा दिमाग पे जोर मार के ये चुहलबाजी लिखी मारी। लीजिये प्रस्तुत है:
चाय पे चर्चा
खाए पे चर्चा
आए पे चर्चा
जाए पे चर्चा
भगाए पे चर्चा
चर्चे पे चर्चा
पर्चे पे चर्चा
कर्जे पे चर्चा
दर्जे पे चर्चा
पंगे पे चर्चा
दंगे पे चर्चा
नंगे पे चर्चा
गंगे पे चर्चा
धरने पे चर्चा
अड़ने पे चर्चा
बोलने पे चर्चा
खोलने पे चर्चा
पानी पे चर्चा
दानी पे चर्चा
नानी पे चर्चा
तेल पे चर्चा
खेल पे चर्चा
रेल पे चर्चा
जेल पे चर्चा
फोन पे चर्चा
जोन पे चर्चा
टोन पे चर्चा
भूत पे चर्चा
भविष्य पे चर्चा
सोनी पे चर्चा
धोनी पे चर्चा
बिजली पे चर्चा
खुजली पे चर्चा
मनुष्यता जिसकी चर्चा होनी चाहिए उसे छोड़ ये देश बाकि सब पे चर्चा कर रहा है।
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